जैसे, एक पेड़ होता है। मुकम्मल। कभी उस पर फूल आते हैं। कभी फल। कभी कत्थई पत्तियाँ आती हैं...ऐसे ही एक कहानी या कविता होती है। उस पर चित्र आते हैं। फूलों की तरह। हरे पत्तों के शब्दों पर कत्थई पत्तों की कल्पना और प्रस्ताव की तरह। कोई फूल देख रुकता है। कि अरे, ये तो गुलमोहर है। किताबों में चित्र देखकर पाठक आते हैं। और फिर कहानी, कविता का पेड़ पहचानते हैं। ...शब्द माध्यम के साथ दृश्य माध्यम का विलक्षण सम्वाद है – चित्रांकन। एक रचना के ठीक बीच से चित्र की जगह और रास्ता निकालने के हुनर का रियाज़ कराता कार्यक्रम। इलस्ट्रेटर्स के लिए एक साल का कोर्स।
तक्षशिला बाल-साहित्य सृजनपीठ के तहत लेखकों, कवियों और चित्रकारों को बाल साहित्य सृजन के लिए आमंत्रित किया जाता है।
तक्षशिला बाल-साहित्य सृजनपीठ के तहत लेखकों, कवियों और चित्रकारों को बाल साहित्य सृजन के लिए आमंत्रित किया जाता है।
Paragraph eifend. Leo integer males uada nunc vel risus commodo viverra maecenas accumsan. Maecenas volutpat blandit aliquam etiam erat velit scelerisque. Ipsum dolor sit amet consectetur adipi scing. Etiam tempor orci eu lobortis eleme ntum nibh tellus molestie. Diam in arcu cursus euismod quis viverra nibh cras.
Subscribe to our newsletter for the latest updates related to new releases, upcoming titles, workshops, book fairs and many more!